जरा सोचीये

आत्मा, स्वर्ग, नरक और पुनर्जन्म क्या है ?


आत्मा के बारे मे अलग-अलग धर्मों के विचार-

मुस्लिम और ख्रिश्चन धर्म -
मुस्लिम और ख्रिश्चन धर्म के नुसार आदमी मरने के बाद उसकी आत्मा परमेश्वर/अल्लाह के दरबार मे चली जाती है। वहाॅ न्याय का दिन होता है। वहाॅ उसके अच्छे बुरे कर्मों का फैसला होता है। यदि अच्छे कर्म किये होंगे तो वह आत्मा स्वर्ग मे जायेगी और बुरे कर्म किये होंगे तो नरक मे जायेगी।

हिन्दू धर्म -
आत्मा के सबंध में हिन्दू धर्म के विचारोंमे थोडा सा बदल है। यहाॅ न्याय का दिन नही होता। मरने के बाद आत्मा सिधे स्वर्ग या नरक मे चली जाती है।

बौध्द धर्म -
बौध्द धम्म के नुसार इन्सान मरने के बाद उसका शरीर चार महाभुतोंमें (पृथ्वी, जल, तेज तथा वायू) समा जायेगा।
बुध्द के अनुसार चार महाभूतों से अतिरिक्त आत्मा नामक कोई अन्य पदार्थ नहीं है। चैतन्य आत्मा का गुण है। चूँकि आत्मा नामक कोई वस्तु है ही नहीं अत: चैतन्य शरीर का ही गुण या धर्म सिद्ध होता है। अर्थात यह शरीर ही आत्मा है।

पुनर्जन्म किस चिज का ?

भगवान बुध्द के नुसार चार भौतिक पदार्थ है, चार महाभुत है जिनसे शरीर बना है-1. पृथ्वी 2. जल 3. अग्नि 4. वायू।
यहाँ प्रश्न यह है कि जब शरीर का मरण होता है तो इन चारों महाभुतों का क्या होता है? क्या वे भी शरीर के साथ मर जाते है?
कुछ लोगों का कहना है कि वे भी मर जाते है? लेकिन भगवान बुध्द ने कहा "नही"। आकाश मे जो समान भौतिक पदार्थ सामुहिक रूप से विद्यमान है, वे उनमे मिल जाते है। इस विद्यमान (तैरती हुई) राशि मे से जब इन चारों महाभुतों का पुनर्मिलन होता है, तो पुनर्जन्म होता है। भगवान बुध्द का पुनर्जन्म से यही अभिप्राय था। इन भौतिक पदार्थों के लिए यह आवश्यक नही कि वे उसी शरीर के हो जिसका मरण हो चुका है, वे नाना मृत-शरीरों के भौतिक अंश हो सकते है। यही बात ध्यान देने की है कि शरीर का मरण होता है लेकिन भौतिक पदार्थ बने रहते है। (पढिए डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर लिखित ग्रन्थ भगवान बुध्द और उनका धम्म)

पुनर्जन्म किस (व्यक्ति) का ?

सबसे कठिण प्रश्न है पुनर्जन्म किस व्यक्ति का? क्या वही मरा हुआ आदमी एक नया जन्म ग्रहण करता है? क्या भगवान बुध्द इस सिध्दान्त को मानते थे? उत्तर है, "इसकी कम से कम संम्भावना है।" यदि मृत आदमी के देह के सभी भौतिक- अंश पुन: नये सिरे से मिलकर एक नये शरीर का निर्माण कर सके, तभी यह मानना सम्भव है कि उसी आदमी का पुनर्जन्म हुआ। यदि भिन्न-भिन्न मृत शरीरों के अंशों के मेल से एक नया शरीर बना तो यह पुनर्जन्म तो हुआ लेकिन यह उसी आदमी का पुनर्जन्म नही हुआ। (पढिए डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर लिखित ग्रन्थ भगवान बुध्द और उनका धम्म)

दोस्तों, आत्मा, स्वर्ग, नरक कछ नही है। सब झूठ है, कोरी कल्पना है। आत्मा के सबंध में बौध्द धर्म को छोडकर तिनों धर्मो कि अलग अलग विचारधारा है। सिर्फ बुध्द के विचार ही विज्ञान कि कसौटी पर खरे उतरतेहै।अगर आत्मा है तो तिनों धर्मो के अलग अलग विचार क्यों है? क्या तिनों धरमों का अपना अपना अलग स्वर्ग और नरक है? अगर सिर्फ इन्सान कि आत्मा स्वर्ग और नरक मे जाती है, तो दिनभर लाखों किडे मकोडे, आदि जीव मरते है उनकी आत्मा का क्या?

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