Wednesday, 22 June 2016

देश का नं.1 आतंकी संघटन आरएसएस (RSS: India's no.1 Terrorists Organizations)

देश का नं.1 आतंकी संघटन आरएसएस
(RSS: India's no.1 Terrorists Organizations)

             पुर्व जस्टिस बी.जी.कोलसे पाटिल, पुर्व जस्टिस पी.बी.सावंत इन्होंने देश बचाव आघाडी की स्थापना की हैं और इसके माध्यम से उन्होंने आरएसएस मुक्त भारत करने की मुहिम हाथ में ली हैं। पुर्व जस्टिस कोलसे पाटिल इन्होंने एक ज्ञापन दिया हैं उसमें उन्होंने कहाँ की आज देश में आरएसएस यह एकमात्र अतिरेकी और आतंकवादी संघटन हैं जो सिर्फ़ एटीएस के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे इन्होंने इसका खुलासा करने के बाद आरएसएस पर देश के विभिन्न कोर्ट में 13 बम विस्फोट के बारे में केस दर्ज हैं। इसलिए हमने बहोत जिम्मेदारी से आरएसएस विरोधी आंदोलन खड़ा करने के लिए सभी पुरोगामी ताकतों को संघटित करके 'देश बचाओ' आघाडी की स्थापना की हैं।
      इस देश बचाओ आघाडी की ओर से आरएसएस मुक्त भारत के मुहिम के अंतर्गत कुछ दिनों पहले दो किताबें 1) देशातील नं.1 ची दहशतवादी संघटना आरएसएस (RSS: India's no. 1 Terrorists Organizations) 2) करकरेंना कोणी व का मारले? (Who Killed Karkare) प्रकाशित की गईं। पुर्व आय.जी. एस्.एम्.मुश्रीफ इन किताबों के लेखक हैं।
     देशातील नं.1 ची दहशतवादी संघटना आरएसएस (RSS: India's no. 1 Terrorists Organizations) इस किताब में आरएसएस की पहचान करवाते हुए पुर्व जस्टिस बी.जी.कोलसे पाटिल अपने ज्ञापन में कहते हैं की आरएसएस की स्थापना सिर्फ़ आजादी के आंदोलन के खिलाफ हुईं थी।
     इस किताब में लेखक एस्.एम्.मुश्रीफ इन्होंने चंद शब्दों में सभी प्रकार के घातक, कपटी और दहशतवादी संघटन का असली चेहरा देश के सामने लाया हैं। आरएसएस यह ब्राम्हणवादियों की, ब्राम्हणवादियों के लिए, ब्राम्हणवादों द्वारा चलाया गया जातिय संघटन हैं ऐसा उन्होंने कहाँ हैं। यह संघटन (आरएसएस) सांस्कृतिक, सामाजिक, देशप्रेमी इत्यादि हैं ऐसा झूठा प्रचार करके भोलेभाले बहुजन और दलित युवाओं को अपने जाल में फँसा रही हैं।
      इस संगठन का मुख्य उद्देश्य हैं समाज में सैकड़ों सालों चली आ रही विषमतावादी जातिय व्यवस्था को बनाए रखना और सभी जातियों पर ब्राम्हणवादियों को वर्चस्व और श्रेष्ठता कायम रखना। इसलिए वे किसी भी हथकंडे को अपनाकर बदलते समय और परिस्थिति के अनुसार विभिन्न षड्यंत्रो का इस्तेमाल करते हैं ऐसा अभ्यासपुर्ण अनुभव लेखक ने अपनी इस किताब में लिखा हैं। सुनियोजित हिन्दू मुस्लिम दंगे करवाना यह उनका बीसवीं सदि से चला आ रहा हथकंडा हैं और आज भी वे इसका इस्तेमाल करते हैं यह आरोप भी इस किताब में लगाया गया हैं।
    इस 21 वी सदि में आरएसएस ने अपने कुछ हथकंडो में बदलाव किया हैं। हिन्दू मुस्लिम दंगे भडकाने के अलावा उन्होंने मुस्लिम आतंकवादी का भुत लोगों के सामने खड़ा किया हैं। इस साजिश में आरएसएस को आय.बी.इस खुफिया एजेंसी के कुछ ब्राम्हणवादी अधिकारियों ने मदद की हैं। इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए कट्टर वादियों का अभिनव भारत नाम का एक संघटन तयार किया गया।
     2002 से 2008 में देश में जो बड़े बड़े आतंकी हमले हुए वे इसी साजिश का हिस्सा थे। एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे इन्होंने इस बात को सामने लाया। सिंतबर 2008 का मालेगाव बम विस्फोट की जाँच करतेवक्त उन्हें कुछ ऐसे सबुत मिले की मालेगाव (2008) का ही नहीं बल्कि उससे पुर्व के लगभग सभी आतंकी हमलों के पिछे आरएसएस, अभिनव भारत और उससे जुड़े अन्य संघटनों का हाथ हैं ऐसी उन्हें सबुतों के साथ जानकारी मिली।
    संघ (आरएसएस) परिवार के खिलाफ 18 केसेस पेंडिंग में हैं। इसमें से 14 केवल आरएसएस के खिलाफ हैं। इस किताब में देश के विभिन्न जगहों पर किए गए बम विस्फोट, पकड़े गए आरोपी, पुलिस जाँच के बाद इकठ्ठा किए गए सबुतों के साथ कोर्ट में भेजी गईं चार्जशिट की जानकारी भी दी गईं हैं।
       आरएसएस के दुसरे संघप्रमुख (सरसंघचालक) गोलवलकर इन्हें उगते हुए भारत के प्रेषित, महान सन्यासी, भारत माता का सबसे अच्छा पुत्र, राष्ट्रऋषी आदि विशेषणों से उनका सम्मान किया जाता हैं। वे हिंसा के समर्थक थे। हिन्दू धर्म के लोगों को छोड़कर अन्य धर्मिय लोगों की हत्या करनी चाहिए ऐसे जहरीले वाक्य उनके 'विचारधन' (Bunch of Thought) इस किताब में लिखे हैं। और यहीं किताब आरएसएस की बायबल हैं।
         गोलवलकर ने 6 दिसम्बर 1947 को दिल्ली के नजदीकी गोवर्धन इस जगह पर संघ के एक सभा में काँग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं को कैसे खत्म किया जाए इसपर चर्चाएँ की थी। उसके दो दिनों बाद रोहतक रोड कैंप में उन्होंने पाकिस्तान के निर्माण के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उसे हम खत्म करेंगे ऐसा खुला ऐलान किया था। उसीवक्त गोलवलकर ने कहाँ, हम मुस्लिमों को हिन्दुस्तान में नहीं रहने देंगे। हमारे जो भी विरोधी हैं उन्हें हम खत्म कर देंगे. ....इसके छह हप्तों बाद ही गांधीजी की हत्या की गईं।
         डाॅ.बाबासाहब अंबेडकर जी आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे। लोकसभा के विपक्ष के सदस्य (1947 से 1956) की अहम भुमिका उन्होंने निभाई हैं। महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग ने 1996 में Dr.Babasaheb Ambedkar Writing and Speeches का 15 वा Volume प्रकाशित किया हैं । इस वोल्युम पृष्ठ नंबर 560 पर बाबासाहब अंबेडकर जी ने संसद में किया हुआ भाषण दिया हैं। उस भाषण में वे कहते हैं. May I mention the R.S.S. & the Akali Dal?  Some of them are very dangerous association.
      विश्व के सभी आतंकी संघटनों का अध्ययन करके उनपर नजर रखनेवाले और उसके बारे में लोगों को सावधान रहने को कहनेवाले अमेरिका के ' टेररिझम् वाॅच अँड वाॅर्निंग' इस विश्वविख्यात संघटन ने अपनी https://www.oodaloop.com/threat-group-profile/2014/04/26/rashtriya-swayamsevak-sangh-rss/ इस वेबसाइट पर तारीख 26/4/2014 के पोस्ट पर आरएसएस को विश्व के आतंकवादी संघटन में शामिल किया हैं। भारत के सक्रिय आतंकवादी संघटन की सुची में आरएसएस का नाम 21 वे स्थान पर हैं।

             लेखक : पुरूषोत्तम भिसिकर (वरिष्ठ पत्रकार और लेखक)
             हिन्दी अनुवाद : अमित इंदूरकर

* यह लेख लेखक ने मराठी में लिखा था। महानायक, युगांतर, प्रिंट मेल, ब्रम्हपूरी ब्लास्ट इन अखबारों में प्रकाशित हुआ हैं। इस लेख का हिन्दी अनुवाद लेखक के अनुमति से (परमिशन) और उनकी निगरानी में किया गया हैं।

नोट : देशातील नं.1 ची दहशतवादी संघटना आरएसएस (RSS: India's no. 1 Terrorists Organizations) यह किताब अब दिक्षाभूमी बुक डेपो नागपूर में उपलब्ध हैं।

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