अंबेडकर भवन गिराने पर सोशल मीडिया पर लोगों का फूटा गुस्सा, जमकर हुई सरकार आलोचना

Written by : निर्मलकांत विद्रोही
Date : 2016-06-26
Date : 2016-06-26
मुंबई। मुंबई के दादर इलाके में स्थित अंबेडकर भवन शनिवार तड़के बुल्डोजर से गिरा दिया गया। पीपुल्स इंप्रूवमेंट ट्रस्ट व डा. अंबेडकर के परिवार वालों के बीच नया विवाद पैदा हो गया है। बाबा साहेब के पोते प्रकाश अंबेडकर ने ट्रस्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने विध्वंश की इस शर्मनाक घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी हैं..
संजय कुमार लिखते हैं, ''कल रात के रात 2 और 3 बजे के दौरान मुंबई में दादर के आंबेडकर भवन और बाबा साहेब द्वारा स्थापित ऐतिहासिक बुद्ध भूषण प्रेस को गिरा दिया गया । फड़नवीस साहब आप बाबा साहब के विचारो से असहमत हो सकते है पर यह इमारत तो राष्ट्र धरोहर थी .... इसे क्यों गिराया ? इससे पता चलता है की मोदी जी बेसक बाबा साहब की मूर्ति के आगे फूल चढाते हो और यह कहते हो की आज वे जो कुछ है बाबा साहब की वजय से है पर असल में यह सब दिखावा है ।
असल में बाबा साहब के लिए आज भी उतनी ही घृणा है जैसे पहले थी।''
असल में बाबा साहब के लिए आज भी उतनी ही घृणा है जैसे पहले थी।''
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप चंद्र मंडल ने लिखा, आज की ताजा खबर यह है कि महाराष्ट्र की पेशवाई सरकार ने मुंबई के दादर में स्थित आंबेडकर भवन को तोड़ दिया है. बाबा साहेब ने यहां अपना प्रिंटिंग प्रेस बनाया था, जो कल तक मौजूद था. यह स्थान राष्ट्रीय धरोहर है. पिछले साल मैं इस प्रिंटिग प्रेस के दर्शन के लिए गया था..... धिक्कार है मोहन भागवत और धिक्कार है देवेंद्र फड़नवीस. महंगा पड़ेगा.
अविनाश गडवे ने लिखा, ''राष्ट्रभक्तों की सरकार ने दादर स्थित आम्बेडकर भवन गिराया ! शर्म करो कायरो !!''
दिल्ली से ओम सुधा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''ये आपने ठीक नहीं किया मोदी जी..मेरी इस बात को गाँठ बाँध कर रख लीजिए की यह आपलोगों को महगा पडेगा.. बाबा साहब से जुडी हर चीज़ राष्ट्रिय धरोहर है। आपको सम्भाल कर रखना चाहिए। देश के करोडो लोगों की भावनाओं से जुडी है हर चीज़। आपने मुंबई के दादर में बने आंबेडकर भवन को ढहा दिया है। बाबा साहब ने वहाँ अपना प्रेस खोला था. प्रेस का महत्त्व आप समझते हैं मोदी जी ? नहीं समझते होंगे। दुनिया का सबसे जाहिल प्रधानमन्त्री दुनिया के सबसे अधिक पढ़े लिखे व्यक्ति की लिखाई और उसके छपकर जनता के हाथों में पहुंचने की महत्ता को समझ लेगा यह मुमकिन भी नहीं है। आप एक एक कर हमे लीलते जा रहे हैं आपने हमारे रोहित वेमुला को मार है , आप देश के तमाम विष्वविद्यालयों के पहुंचने के हमारे रास्ते बंद करने की नापाक कोशिश तो अंजाम दे रहे हैं। याद रखिएगा हम बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर की परम्परा से आते हैं. हम माता सावित्री बाई फुले और ज्योतिबा फुले की संतान हैं। हम थे , हैं और रहेंगे। हम बीज की तरह हैं, जिसे मिटटी में दबाओगे तो कोंपले फूटेंगे... महगा पडेगा मोदी जी.. महगा पडेगा..देवेन्द्र फडणवीस मुर्दाबाद ..नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद ..इंक़लाब ज़िंदाबाद.. रोहित वेमुला ज़िंदाबाद ..बाबा साहेब फुले की क्रांतिकारी विरासत अमर रहे...
प्रदीप नागदिओ ने लिखा, ''बीजेपी शासित सत्ता ने संघ के इशारों पर मुंबई दादर वाले डॉ अम्बेड़कर के निवास स्थान पर बुलडोजर चलाया ।जिसमे उनकी प्रिंटिंग प्रेस और निवास स्थान तहस-नहस हो गया है।''
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ''कायरों की तरह रात के अंधेरे में मुंबई में आंबेडकर भवन और प्रिंटिंग प्रेस को तोड़ने वाले लोगों की इस हरकत के पीछे ब्राह्मणवादियों का एक बड़ा डर छिपा हुआ है। इस जगह से कई आंदोलनों की यादें जुड़ी हुई हैं। वे इन यादों से भी डरते हैं। यह वही जगह है जहाँ रोहित की माँ और भाई ने हाल ही में बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। आंबेडकर ने 1947 में यहाँ प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की थी। प्रबुद्ध भारत, बहिष्कृत भारत जैसे कई अख़बार इसी प्रेस से निकले। क्या आधुनिक भवन बनाने के नाम पर इस तरह की तोड़फोड़ की जा सकती है? क्या किसी और नेता से जुड़े भवनों को इस तरह कभी तोड़ा जा सकता है? न जाने कितने ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को नुकसान पहुँचा है। कई पांडुलिपियाँ मलबे के नीचे पड़ी हैं। पीपुल्स इंप्रूवमेंट ट्रस्ट से जुड़े कुछ लोग महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार के साथ मिलकर आंबेडकर भवन को तोड़कर जनता के आंदोलनों से जुड़ी यादों को मिटाना चाहते हैं। बाउंसरों को भेजकर यह तोड़फोड़ उन्हीं लोगों ने करवाई है जिन्हें बाबासाहेब का नाम तो वोट के लिए चाहिए लेकिन मनुवाद के खिलाफ उनका विचार नहीं ! हम संविधान के निर्माता का इतना बड़ा अपमान बिल्कुल नहीं सह सकते। आज रात 9.30 बजे जेएनयू में साबरमती ढाबे पर आरएसएस और महाराष्ट्र की भाजपा सरकार का पुतला दहन होगा। हर दिन जनता की नाराज़गी को बढ़ाने वाली सरकार अभी सत्ता के नशे में झूम रही है। इसे जनता ही होश में लाएगी।''
read आंबेडकर ने 1947 में यहाँ प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की थी। प्रबुद्ध भारत, बहिष्कृत भारत जैसे कई अख़बार इसी प्रेस से निकले। क्या आधुनिक भवन बनाने के नाम पर इस तरह की तोड़फोड़ की जा सकती है? क्या किसी और नेता से जुड़े भवनों को इस तरह कभी तोड़ा जा सकता है?
ReplyDeleteinstall https://play.google.com/store/apps/details?id=com.quick.breakingnews
read दिल्ली से ओम सुधा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''ये आपने ठीक नहीं किया मोदी जी..मेरी इस बात को गाँठ बाँध कर रख लीजिए की यह आपलोगों को महगा पडेगा.
ReplyDeleteinstall https://play.google.com/store/apps/details?id=com.quick.allinone