Thursday, 23 June 2016

संघ परिवार की नजर में अकबर के बाद अब सम्राट अशोक खलनायक और बौद्ध राष्ट्रद्रोही

संघ परिवार की नजर में अकबर के बाद अब सम्राट अशोक खलनायक और बौद्ध राष्ट्रद्रोही
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प्रदेशकीपाठ्यपुस्तकों में अकबर की महानता को लेकर छिड़ा विवाद अभी थमा भी नहीं है कि अब संघ परिवार ने सम्राट अशोक महान को भारतीय इतिहास का खलनायक और बौद्ध मतावलंबियों को राष्ट्रद्रोही घोषित करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के संगठन राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद के मुखपत्र “बप्पा रावल’ में सम्राट अशोक की महानता पर सवालिया निशान खड़े किए गए हैं और बौद्ध मतावलंबियों को देशद्रोही भारत को महान से पतित बनाने वाला बताया गया है। मुखपत्र में कहा गया है कि मौर्य साम्राज्य के भारतीय सम्राट अशोक के कारण ही भारतीय राष्ट्र पर बड़े संकटों के पहाड़ टूटे और यूनानी आक्रांता भारत को पदाक्रांत करने धमके।

राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद के मुखपत्र “बप्पा रावल’ के मई-2016 अंक में प्रकाशित “भारत : कल, आज और कल’ लेख माला में स्पष्ट कहा गया है : यह भारत का दुर्देव ही रहा कि जो अशोक भारतीय राष्ट्र की अवनति का कारण बना, उसकी ही हमने “अशोक महान’ कहकर वंदना की। अच्छा होता कि राजा अशोक भी भगवान बुद्ध की तरह साम्राज्य का त्यागकर, भिक्षुत्व स्वीकार कर, बौद्ध धर्म के प्रचार में लग जाते। इसके विपरीत उन्होंने तो सारे साम्राज्य को ही बौद्ध धर्म प्रचारक विशाल मठ के रूप में बदल दिया। इन बौद्ध धर्मावलंबी मगधापतियों के कारण ही यूरोप से फिर एक बार ग्रीक आक्रांता भारत को पदाक्रांत करने धमके। इस संबंध में जब पत्रिका का प्रकाशन करने वाले संगठन वनवासी कल्याण परिषद के राज्य संगठन मंत्री राजाराम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पत्रिका में प्रकाशित संपादक डॉ. राधिका लढ़ा ने जो लिखा और कहा है, वही सही है।

भारत का राष्ट्रीय चिह्न ‘अशोक चक्र’ तथा चार शेरों वाला ‘अशोक स्तंभ’ भी अशोक की ही देन है।

लेखिका डॉ. राधिका लढ़ा ने कहा- अवनति उसी काल में हुई

^अशोकने बौद्ध धर्म अपनाया फिर इसे ही राज धर्म बना दिया। विदेशों से जो भी आता, अगर वो बौद्ध होता तो अशोक तुरंत ही उसे अपना मान लेते थे, जो कि गलत था। उन्होंने इतनी शांति फैलाई कि सीमा पर लगे सैनिक ही हटा दिए। इससे आक्रमण बढ़े और राष्ट्र की अवनति उसी काल में हुई। राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह में सिंह है, जो कि शौर्य का प्रतीक है। वो खूबी थी उनकी इसलिए अपनायी गयी। डॉ.राधिका लढ़ा, बप्पा रावल पत्रिका की संपादक

विदेशियों ने अकबर और अशोक को महान बताया : संघ

^पत्रिकामें छपा दृष्टिकोण आरएसएस का नहीं हो सकता। यह व्यक्तिगत है। सम्राट अशोक में अच्छाई थी तो दोष भी थे। उनके आने से भारत में शक्ति की उपासना खत्म हो गई। इससे राष्ट्र कमजोर बनता गया और विदेशियों के आक्रमण बढ़ते गए। अकबर और अशोक को महान बताने वाले जो भी इतिहासकार हैं, वे सभी विदेशी हैं, जो भारत को जानते ही नहीं। कन्हैयालाल चतुर्वेदी, संपादक, पाथेय कण और संघ के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व

अशोक के बाद भी हुए विदेशी हमले, जिम्मेदार कौन: गुप्ता

^एकही गुण या दोष से किसी व्यक्ति का आकलन करना ठीक नहीं। उस समय की परिस्थिति अलग थी। अशोक के बाद सातवीं और आठवीं शताब्दी में भी विदेशी हमले हुए तब तो अहिंसा की नीति नहीं थी, फिर किसे दोष देंगेω। देश की अवनति में आपसी फूट बड़ा कारण थी। प्रो.केएस गुप्ता, इतिहासकार

इतिहास में इसलिए महान माने जाते हंै अशोक

भारतीयइतिहासकारों की नजर में हिंसा और युद्धों के माहौल में कुशल प्रशासक अशोक तीन ही साल में शांति स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं। इतिहासकारों ने मानवतावादी भी माना है। चिकित्सा शास्त्र में तरक्की भी उसी काल में हुई।

कनिष्क को भी बताया विदेशी

इस लेख में पेज 12 पर लिखा है : चीनतक के प्रदेशों पर आक्रमण करने में व्यस्त होने के बाद भी कनिष्क का ध्यान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विषयों के प्रति लगा रहता था। यद्यपि कनिष्क ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया, परंतु वह था तो विदेशी ही।

वनवासी कल्याण परिषद की ओर से वनवासी अंचल के लिए प्रकाशित इस मुखपत्र के लेख में पेज 11 पर साफ कहा गया है : अनेक बौद्ध भिक्षु प्रचारक भारत की बौद्ध जनता में यह राष्ट्रघातक भारत द्रोही और बुद्धिहीन उपदेश भी देने लगे थे कि बौद्ध धर्म जाति, राष्ट्र अथवा वंश को नहीं मानता। बौद्ध मतावलंबियों ने राष्ट्रद्रोही की भूमिका निभाई। यवन सेनापति मिनियान्दर को भारतीय बौद्धों की सहानुभूति प्राप्त होने लगी। बौद्ध सोचने लगे कि ये ग्रीक सिर्फ वैदिक धर्मावलंबियों से ही लड़ने रहे हैं। यदि ग्रीकों की विजय हुई तो भारत में बौद्ध धर्मावलंबियों का शासन होगा। वे सोचते, “हमें क्या मतलब यदि ग्रीक विदेशी हैं तो’ 

reff link : http://www.bhaskar.com/news-keyreco/RAJ-UDA-OMC-MAT-latest-udaipur-news-065503-417319-NOR.html

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